फतेहपुर चक्र, कुशीनगर
सुरक्षा उपायों के अभाव में राजस्व कर्मी दहशत में
जिम्मेदारों की उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे लेखपाल, फरवरी माह का अब तक नही मिला वेतन, लाकडाउन ने बढ़ाई परेशानी।
धन के अभाव में बिना मास्क व सेनेटाइजर के जान जोखिम में डालकर क्षेत्र में निकल रहे राजस्वकर्मी, भयभीत एक तरफ पूरे देश मे लाकडाउन की स्थिति में लोगो को परेशानी से बचाने के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा हो रही है तो दूसरी तरफ जिम्मेदारो की उदासीनता से जिले के समस्त राजस्व निरीक्षकों के साथ ही लेखपालों का वेतन का भुगतान नही हो सका है। जिसके चलते इन राजस्व कर्मियों की अब परेशानियां बढ़ने लगी हैं।
केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से 21 दिनों का लाकडाउन की घोषणा हुई हैं जिसके बाद लोग अपनी अपनी जरूरत के सामानों की खरीददारी कर सरकार के निर्देशों का पालन करने में जुट गये है तो वही सरकार भी आर्थिक सहायता देने के साथ गरीबो को रसोई गैस, राशन को फ्री में देने की घोषणा कर रही हैं तो वही कुशीनगर के राजस्वकर्मी वेतन न मिलने से लाकडाउन में अपने परिवार के भरण पोषण को लेकर चिंतित व परेशान है। वही जिम्मेदार भी इन राजस्वकर्मियों की समस्या समाधान में रुचि नही ले रहे हैं। जिसको लेकर राजस्वकर्मियों में काफी निराशा हैं। लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि लाकडाउन की घोषणा के वेतन न मिलने राजस्वकर्मी काफी परेशान है और उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गयी हैं, वह अपनी जरूरत के सामानों की खरीददारी नही कर पा रहे हैं। राजस्व निरीक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने बताया कि बीते माह ई डिस्ट्रिक्ट योजना में लैपटॉप डाटा चार्ज का भुगतान करने का आदेश माननीय जिलाधिकारी महोदय की ओर से किया गया हैं, उसका भी भुगतान नही हो रहा है। लेखपाल संघ तमकुहीराज के अध्यक्ष शैलेश मिश्रा ने कहा कि सरकार की ओर से सभी विभागों के कर्मियों का वेतन भुगतान कर दिया गया है लेकिन राजस्वकर्मियों का फरवरी माह का वेतन अब तक नही मिला है, जिससे लाकडाउन में राजस्वकर्मियों को अपने परिवार का भरणपोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने उच्चाधिकारियों से समस्या समाधान कर राजस्वकर्मियों का वेतन दिलाये जाने की मांग की है जिससे कोरोना की जंग में राजस्वकर्मियों के लिए पारिवारिक समस्या बाधा न बने, और वह शतप्रतिशत कोरोना की लड़ाई जीतने में अपना योगदान दे सके। लेखपालों को कोरोना फतह के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तो दी गयी हैं और उन्हें क्षेत्र में जाना भी पड़ रहा है लेकिन उन्हें न तो सेनेटाइजर ही दी गयी हैं और न मास्क ही दिया गया है। अधूरी व्यवस्था में लेखपाल अपनी जान तो जोखिम में डाल ही रहे हैं परिजनों की भी जान जोखिम में डालकर क्षेत्र में जा रहे हैं जिससे परिजन भी भयभीत हैं। कोरोना की जंग फतह में राजस्वकर्मी अपना शतप्रतिशत योगदान दे रहे हैं लेकिन संशाधनों व वेतन न मिलने के चलते धन के अभाव में वह उपेक्षित व भयभीत महसूस कर रहे हैं।